ग्रेटर नोएडा। सुप्रीम कोर्ट ने प्राधिकरणों को भ्रष्टाचार का अड्डा ऐसे ही नहीं कहा। नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों में कई घोटाले सामने आ चुके हैं।
अब ग्रेटर नोएडा में प्रदेश के सबसे बड़े भूमि घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। तत्कालीन अधिकारियों ने 2016 से 2023 के मध्य तक कालोनाइजरों के साथ मिलकर बिसरख, जलपुरा व हैबतपुर गांव में प्राधिकरण की तीन लाख वर्ग मीटर जमीन पर अवैध कॉलोनी और विला बनवा दिए।
बाजार में जमीन की कीमत 2 हजार करोड़ रुपये से अधिक
बाजार में जमीन की कीमत दो हजार करोड़ रुपये से अधिक है। सूत्रों के मुताबिक बदले में प्राधिकरण अधिकारियों को 100 करोड़ रुपये से अधिक मिलें। इसकी बंदरबांट निचले स्तर से लेकर ऊपर तक हुई। बिसरख गांव के खसरा नंबर 773 का अधिग्रहण 2010 में हुआ।
पॉश जगह पर होने के कारण इसकी 51 हजार वर्ग मीटर जमीन को लेने के लिए 15 बिल्डर, तीन अस्पताल संचालक व पांच अन्य संस्थाओं ने कई बार प्राधिकरण में आवेदन किया, लेकिन प्राधिकरण अधिकारियों ने उन्हें जमीन का आवंटन नहीं किया।
2010 से 2023 तक छोड़ी रखी खाली जमीन
2010 से 2023 के मध्य तक करीब 13 वर्ष के लंब समय में किसी भी संस्था को जमीन का आवंटन न कर, उसे ऐसे ही छोड़े रखना प्राधिकरण अधिकारियों को कटघरे में खड़ा करने के लिए काफी है। सूत्रों का कहना है कि कालोनाइजरों के साथ सांठगांठ होने की वजह से ही जमीन का आवंटन नहीं किया गया।
प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारियों ने कालोनाइजरों को उक्त जमीन पर विला और कालोनी बसाने के लिए भरपूर समय दिया। 2016 से 2023 के मध्य तक वह विला बनाते रहें, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की।
एक भी जगह नहीं हटाया अवैध निर्माण
भविष्य में गर्दन न फंसे, इसके लिए सिर्फ धारा-10 का नोटिस और थाने में ऐसी धारा, जिसका कोई भय न हो, 188 व 447 में मामला दर्ज कराया गया। इन धाराओं में मामला दर्ज होने के बाद 24 घंटे के अंदर अवैध निर्माण को हटाकर यथस्थिति बनाने का प्रावधान है।
जिन मामलों में एफआइआर हुई, उनमें एक भी जगह अवैध निर्माण नहीं हटाया गया। इन धाराओं में मात्र जुर्माना और तीन माह की सजा का प्रविधान है।
प्राधिकरण अधिकारियों ने एफआइआर में यह धाराएं जानबूझकर लिखवाई, ताकि कालोनाइजरों पर कोई कार्रवाई न हो सकें।
कुछ दिन पहले बिसरख के एक व्यक्ति ने पूरे मामले की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर की तो इसकी जांच हुई। जांच में आरोप सहीं पाए गए हैं।
प्राधिकरण जमीन आवंटित करता तो मिलते दो हजार करोड़ रुपये
बिसरख, जलपुरा व हैबतपुर गांव में प्राधिकरण की जिस जमीन पर अवैध विला और कालोनी बनी हैं। उस जमीन की बाजार में इस समय करीब सवा लाख से डेढ़ लाख रुपये प्रति वर्ग मीटर कीमत है। जमीन को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बिल्डर अथवा किसी अन्य संस्था को आवंटित कर देता तो करीब दो हजार करोड़ रुपये प्राधिकरण को मिलते।
कर्ज चुकाने में मिलती मदद
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर 2014 से करीब 6500 करोड़ रुपये का कर्ज है। प्राधिकरण बिसरख, जलपुरा और हैबतपुर गांव की जमीन का बिल्डर अथवा किसी अन्य को आवंटन कर देता तो उससे मिले धन से कर्ज को उतारा जा सकता था, लेकिन किसी भी अधिकारी इस तरफ ध्यान नहीं दिया।
800 करोड़ रुपये में खरीदी जमीन
जिस जमीन पर विला और अवैध कालोनी बसी हैं, उसको प्राधिकरण ने जलपुरा गांव में 300 करोड़, हैबतपुर में 100 करोड़ व बिसरख गांव में 400 करोड़ रुपये किसानों को देकर खरीदा था। प्राधिकरण को जमीन न मिलने की वजह से इस धनराशि की भी हानि हुई। दोनों को मिलाकर प्राधिकरण को 2800 करोड़ रुपये के राजस्व की हानि हुई।