देश में रेल हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. सरकार के तमाम दावों के बाद भी आए दिन हादसे हो रहे हैं और इनमें सफर करने वाले यात्री अपनी जान गवां रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या रेल में सफर करना होगा तो आम आदमी की अपनी जान की सुरक्षा स्वयं करेगा? कारण, गुरुवार को फिर एक रेल हादसा हुआ. उत्तर प्रदेश के गोंडा में डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के आठ डिब्बे पलट गए. दो यात्रियों की मृत्यु हो गई. 31 से ज्यादा यात्री घायल हैं. जांच का आदेश दिया गया है.
इन सबके बीच ड्राइवर ने दावा कर दिया कि उसने हादसे से पहले धमाके की आवाज सुनी थी. जिसके बाद हादसे में साजिश का एंगल भी नजर आने लगा. लेकिन यूपी के पुलिस मुखिया ने इस दावे को खारिज कर दिया. दरअसल, गुरुवार दोपहर करीब ढाई बजे ट्रेन नंबर 15904 चंडीगढ़ से डिब्रूगढ़ तक जाने वाली एक्सप्रेस ट्रेन उत्तर प्रदेश में गोंडा स्टेशन से 25 किमी दूर झिलाही में ट्रेन हादसे का शिकार हो गई और 8 डिब्बे पटरी से पलट गए.
हादसे के तुरंत बाद जब तक राहत लेकर मेडिकल ट्रेन और राहत बचाव दल पहुंचा, तब तक लोग खुद को और परिजनों को सुरक्षित करने के लिए उलट पलट चुकी ट्रेन के डिब्बों के दरवाजों या खिडकियों से निकालने की कोशिश करते दिखे. उधर, इस हादसे बाद एक बार फिर केंद्र सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है. विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए कवच सुरक्षा सिस्टम को लेकर भी सवाल उठाए.
विपक्ष ने हादसे पर उठाए सवाल
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ये मोदी राज में ये व्यवस्थित रूप से रेल सुरक्षा को खतरे में डालने की एक और गवाही है. वहीं अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी सरकार जवाबदेही सुनिश्चित करे. आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि कमजोर पटरियों पर हाईस्पीड ट्रेन चलाने की वाहवाही लूटने में ये हादसे हो रहे हैं. ममता बनर्जी ने पूछा कि यात्रियों की सुरक्षा सबसे जरूरी है, ये सरकार कब समझेगी.
हादसे की असल वजह क्या?
हादसे के बाद सवाल उठा कि ये हुआ कैसे? जहां रोज भारत में ऑस्ट्रेलिया की आबादी से ज्यादा लोग सफर करते हैं, वहां आखिर कैसे बार-बार रेल पर भरोसा भी पटरियों से उतर जा रहा है. सबसे ज्यादा हादसे ट्रेन के पटरी से उतरने की वजह से ही होते हैं. लेकिन क्या चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के पलटने की वजह भी कमजोर पटरी रही? या कोई और खामी? इस सवाल का जवाब जांच पूरी होने के बाद ही सामने आ सकेगा.
धमाके की आवाज के दावे में कितनी सच्चाई?
इसकी जांच होने से पहले ही एक दावा आया. दावा हुआ कि ट्रेन के लोको पायलट ने कहा कि उसने हादसे से ठीक पहले एक धमाका सुना. इसके अलावा एएनआई से एक यात्री ने भी धमाके की आवाज सुनने की बात कही. हालांकि रात होते-होते यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार ने इस दावे का खंडन कर दिया और कहा कि कोई धमाका नहीं हुआ. ऐसे में सवाल उठता है कि जो लोको पायलट और यात्री ने धमाके की आवाज सुनने का दावा किया, वो आवाज आखिर किस चीज की रही होगी?
रेल मंत्रालय ने किया मुआवजे का ऐलान
रेल मंत्रालय ने मृतकों और घायलों के लिए मुआवजे का भी ऐलान कर दिया है. रेल मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया कि मृतकों के परिवार को 10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 2.5 लाख रुपये और मामूली रूप से घायलों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की गई है. सीआरएस जांच के अलावा, उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं. मृतकों की पहचान बिहार के अररिया निवासी सरोज कुमार सिंह (31) और चंडीगढ़ निवासी राहुल (38) के रूप में हुई है.
मुझे केवल चीखें याद हैं: यात्री
राहत टीमों के पहुंचने से पहले ही असम जाने वाली ट्रेन में सवार यात्री पलटे हुए डिब्बों से बाहर निकलने लगे थे. उनमें से कुछ लोग अपना सामान बाहर निकालने के लिए फिर से वापस चले गए. फिर वे बचावकर्मियों के आने का इंतजार करते हुए पटरियों के पास बैठ गए. पीटीआई के मुताबिक एक यात्री संदीप कुमार ने बताया, “एक पल के लिए कोच धूल से भर गया और चारों ओर अंधेरा छा गया. मुझे याद नहीं कि अगले कुछ सेकंड में क्या हुआ. मुझे केवल चीखें याद हैं और एक यात्री ने मेरा हाथ खींचा और मुझे खिड़की से बाहर निकलने में मदद की.”