श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर महायोगी पायलट बाबा को उनकी अंतिम इच्छा अनुसार हरिद्वार में महासमाधि दे दी गई. महायोगी पायलट बाबा को श्रद्धांजलि देने के लिए संतों व भक्तों का सैलाब उमड़ पडा. विश्व के 100 से अधिक देशों के भक्त उन्हें महासमाधि देने के लिए पहुंचे. सभी 13 अखाड़ों के पदाधिकारी, महामंडलेश्वर, श्री महंत, महंत, विभिन्न दलों के नेता, देश के बडे उद्योगपति कारोबारी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे.
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज के संरक्षण देखरेख में महायोगी पायलट बाबा को अभिजीत मुहूर्त में 11 बजकर 55 मिनट पर महासमाधि दी गई. उनकी हमेशा सेवा में लगी रहने वाली उनकी शिष्या महामंडलेश्वर साध्वी चेतन आनंद गिरी महाराज व साध्वी श्रद्धा गिरी महाराज ने उन्हें समाधि दी. उसके बाद शंभू रोटए धूल लौट व तिये का कार्यक्रम हुआ. श्री महंत हरि गिरी महाराज ने पायलट बाबा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि पायलट बाबा सिद्ध संत थे.
1974 उनकी संन्यास यात्रा हुई थी शुरू
पायलट बाबा समाज, देश व धर्म की सेवा के लिए वे हमेशा तत्पर रहते थे. संन्यासी बनने से पूर्व पायलट बाबा भारतीय वायुसेना में पायलट के रूप में कार्यरत थे और उन्होंने भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर के पद पर रहते हुए 1962 ए 1965 व 1971 के युद्ध में भाग लिया था और अपने पराक्रम से दुश्मनों को मार भगाया था. उनकी संन्यास यात्रा 1974 से प्रारंभ हुई. विधिवत दीक्षा लेकर वे जूना अखाड़े में शामिल हुए और जूना अखाड़े के विभिन्न पदों पर रहते हुए अखाड़े की उन्नति प्रगति विकास के लिए हमेशा प्रयासरत रहे.
पूरे विश्व में किया सनातन धर्म का प्रचार प्रसार
1998 में महामंडलेश्वर पद पर आसीन होने के बाद उन्हें 2010 में उज्जैन में प्राचीन जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर पद पर विभूषित किया गया. उन्होंने पूरे विश्व में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार किया. जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज ने कहा कि पहले भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर व उसके बाद एक सच्चे व सिद्धसंत के रूप में महायोगी पायलट बाबा ने समाज देश व सनातन धर्म की सेवा की मिसाल कायम की.