बुलंदशहर। कहते है कि मंज़िल उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौंसलों से उड़ान होती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया बुलंदशहर की बेटी सोनम ने। भट्टा मजदूर पिता की इस बेटी ने मध्यप्रदेश में हुए खेलो इंडिया खेलों में 2000 स्टीपलचेज में 11 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ते हुए गोल्डमैडल अपने नाम कर लिया।
दरअसल, सोनम के माता-पिता बुलन्दशहर के हुरथला गांव में एक ईंट के भट्टे पर मजदूरी करते हैं। और जबकि वह खुद भी दिल्ली में अपनी प्रैक्टिस के साथ लोगों के घर तक सामान डिलीवर करती हैं। जब सोनम बुलंदशहर में थीं तो यहां भर्ती की तैयारी में सुबह सड़कों पर दौड़ लगाने वाले युवाओं से प्रेरित होकर सोनम ने भी दौड़ना शुरू किया था जबकि अब गोल्ड जीतकर सोनम ने ज़िले का नाम रौशन किया है।
सोनम के पिता ने बताया कि आर्थिक स्थिति अच्छे ना होने के कारण वो बेटी को ज़्यादा पढ़ा नहीं सके लेकिन बेटी की मेहनत और लगन ने यह साबित कर दिया कि हौंसला हो तो व्यक्ति कुछ भी कर सकता है। वहीं, सोनम के कोच भी सरकार से सोनम की मदद की अपील कर रहे हैं।
बता दे कि 18 साल की सोनम ने मध्यप्रदेश के इंदौर में चल रहे खेलों में 6:45,71 सेकंड के साथ स्वर्ण पदक जीता है। इसी के साथ उन्होंने पारुल चौधरी का 11 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
सोनम के गोल्ड जीतने के बाद पूरे गांव में खुशी का माहौल है और परिजन लड्डू बांटकर खुशी मना रहे हैं।