चर्चित और विवादित फिल्म ‘ द केरला स्टोरी’ पर पश्चिम बंगाल में बैन लगाने के मामले में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट मे हलफनामा दाखिल किया है. ममता बनर्जी सरकार ने राज्य में इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले और अधिसूचना का बचाव किया है.
पश्चिम बंगाल सरकार का कहना है कि फिल्म की भाषा अभद्र है और यह मनगढ़ंत तथ्यों पर आधारित है. राज्य सरकार ने हलफनामे में कहा कि खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी से पता चला है कि अगर इस फिल्म की स्क्रीनिंग की अनुमति दी गई तो कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है. क्योंकि इस फिल्म ‘ द केरला स्टोरी ‘ मे संप्रदाय विशेष के लोगों के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया है. साथ ही इस फिल्म को सत्य घटना पर आधारित बताया गया है. लेकिन वास्तविकता में इसमें तथ्यों के साथ भी गंभीर छेड़छाड़ की गई है. इससे राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द और कानून व्यवस्था पर संकट खड़ा हो सकता है.
अगर फिल्म की स्क्रीनिंग की इजाजत ली गई होती तो चरमपंथी समूहों के बीच झड़प होने की आशंका बनी रहती. नफरत, घृणा और हिंसा की किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए राज्य में फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाया गया है. साथ ही फिल्म पर प्रतिबंध खुफिया जानकारी के आधार पर लिया गया सरकार का नीतिगत निर्णय था.
इसमें याचिकाकर्ताओं के मौलिक अधिकारों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. क्योंकि फिल्म निर्माताओं और वितरकों को हुए वित्तीय नुकसान को मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के रूप में नही लिया जा सकता है.
हलफनामे मे पश्चिम बंगाल सरकार ने ‘ द केरला स्टोरी’ फिल्म को राज्य मे बैन करने पर अन्य दलीलों में यह कहा है कि राज्य में प्रदर्शन पर पाबंदी की वजह से फिल्म निर्माताओं को हुए आर्थिक नुकसान के लिए राज्य सरकार को किसी भी सूरत में जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.
फिल्म “द केरला स्टोरी” पर सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर दो समुदायों के बीच हुए दंगों में एक व्यक्ति के मारे जाने और आठ अन्य के घायल होने के बाद महाराष्ट्र द्वारा राज्यव्यापी सुरक्षा अलर्ट जारी किया गया था. इससे भी यह साबित होता है कि पश्चिम बंगाल ने सही समय पर बैन लगाकर ऐसी कोई घटना होने से बचाव कर लिया. राज्य द्वारा प्रतिबंध की समय पर कार्रवाई के कारण ही पश्चिम बंगाल राज्य में ऐसी घटनाओं को रोका गया.
ब्रिटिश बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ने भी इस फिल्म को यूनाइटेड किंगडम में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने से रोका था.
लिहाजा इन तथ्यों के आधार पर राज्य सरकार का फैसला अनुचित नहीं है. फिल्म के प्रदर्शन पर बैन लगाने का सही फैसला किया गया है. फिल्म अत्यधिक विवादास्पद है. यह विभिन्न समुदायों के बीच विवाद और वैमनस्य पैदा कर रही है.