भारत में हर वर्ष गर्भावस्था के दौरान तकरीबन 56000 से ज्यादा महिलाओं की सुरक्षित प्रसव नही होने से जान चली जाती है। इसी को देखते हुए गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित प्रस्रव करवाने को लेकर भारत सरकार ने जननी सुरक्षा योजना 12 अप्रैल 2005 को शुरू की थी जिसके तहत महिला को गर्भावस्था के दौरान समय से सरकारी अस्पताल पहुंचने के लिए 108 और 102 नंबर की एंबुलेंस शुरू की थी। गर्भवती महिला को प्रसव के दौरान एक फोन करने पर सरकारी अस्पताल तक ले जाकर सुरक्षित प्रसव कराना के लिए यह एम्बुलेंस चलाई गई है। वही जननी सुरक्षा योजना के तहत सरकार कुपोषण एवं डिलीवरी के बाद स्वस्थ रहने के लिए धनराशि भी गर्भवती महिला के खाते में दी जाती है, लेकिन गौतमबुद्ध नगर में जननी सुरक्षा योजना को लेकर स्वास्थ्य विभाग गंभीर नहीं है, गरीबों को लेकर चलाए जाने वाली इस महत्वाकांक्षी योजना को पलीता लगाने में यहां का स्वास्थ्य विभाग ही लगा हुआ है, लापरवाही का आलम यह है कि नोएडा के सेक्टर 122 में रहने वाले शंभू नाथ की गर्भवती पत्नी बृहस्पतिवार को प्रसव के लिए तड़प रही है।
गर्भवती महिला को अस्पताल भेजने के लिए उसके परिवार वालों ने सरकारी एंबुलेंस 108 पर कॉल की लेकिन 108 पर कॉल करने के बाद मौजूद ऑपरेटर ने उसे 102 पर कॉल करने की सलाह दी, जिसके बाद उसने चार बार 102 नंबर पर कॉल कर सरकारी एंबुलेंस की सहायता मांगी लेकिन जिले के स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का आलम देखिए की चार बार मदद मांगने के बाद भी सरकारी एंबुलेंस एक घंटे तक पीड़ित परिवार के दरवाजे तक नहीं पहुंची। बाद गर्भवती महिला को उसके परिजनों ऑटो में डालकर अस्पताल के लिए रवाना हुए लेकिन रास्ते में प्रसव पीड़ा अधिक होने की वजह से महिला ऑटो में लेट गई जिसके बाद उसने नवजात बच्चे को जन्म दिया।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही आई सामने
सड़कों पर नवजात बच्चे को ऑटो में जन्म देना स्वास्थ्य विभाग की मानसिक बीमारी को खुलेआम बता रहा है। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल के गेट पर ऑटो के पहुंचने पर वहां मौजूद मैटरनिटी के स्टाफ ने लड़का होने पर उनसे बख्शीश मांग ली लेकिन मदद मांगने पर घर तक एंबुलेंस नहीं भेजी गई, जिसके बाद परिवार वालों में जबरदस्त आक्रोश है। आपको बता दें कि गौतमबुद्ध नगर जिले में 108 नंबर की एंबुलेंस की संख्या 17 है जबकि 102 नंबर एंबुलेंस की संख्या 14 है।102 एम्बुलेंस का शहरी क्षेत्र में घटनास्थल पर पहुंचने का निर्धारित समय 15 मिनट है जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 20 मिनट में घटनास्थल पर पहुंचना सुनिश्चित करना है, लेकिन सरकारी एंबुलेंस कई घंटो तक पीड़ित के पास नहीं पहुंची जिसकी वजह से उसे ऑटो में ही बच्चे को जन्म देना पड़ा गौतमबुद्ध नगर के स्वास्थ्य विभाग में तैनात नोडल ऑफिसर डॉक्टर जैस लाल ने बताया है कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है, इस घटना में लापरवाही बरतने पर 102 में 108 एंबुलेंस के प्रभारी दीपक सिंह से बात कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।