ग्रेटर नोएडा। भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में सबसे बड़ा इतिहास रचा है। इसरो का चंद्रयान-3 चांद की सतह पर सुरक्षित उतर गया है। इसरो के साथ सभी भारतवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक क्षण है। इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर उतरकर इतिहास रच दिया है। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। यह सभी भारतीयों के लिए गर्व का पल है आज हम अपने प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों की बदौलत चांद पर पहुंच गए हैं।
दरअसल, केंद्र के आईआईटी और आईआईएम समेत विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा संस्थानों में चंद्रमा पर चंद्रयान 3 की लैंडिंग की लाइव स्ट्रीमिंग देखने के लिए विशेष सभाएं आयोजित करने को कहा गया था। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा स्कूलों में भी चंद्रयान के लैंडिंग का लाइव प्रसारण किए जाने का आदेश दिया था। भारत और राज्य सरकार की तरफ से जारी आदेशों में सभी शैक्षणिक संस्थाओं को छात्र-छात्राओं को इस सीधा प्रसारण दिखाने को सुनिश्चित करने की व्यवस्था की गई।
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रविंद्र कुमार सिंह ने कहा कि जीबीयू में इसका सीधा प्रसारण दिखाने का मुख्य कारण है कि चंद्रयान तीन की लैंडिंग एक यादगार पल है। जो न केवल जिज्ञासा को बढ़ावा देगा बल्कि हमारे युवाओं के मन में इनोवेशन के लिए एक जुनून भी पैदा करेगा। इससे गर्व और एकता की गहरी भावना पैदा होती है क्योंकि हम सामूहिक रूप से भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शक्ति का जश्न मना रहे है।
जीबीयू प्रशासन में अपने प्रेक्षा ग्रह (ऑडिटोरियम) में चांद्रायण-3 का चांद की सतह पर चंद्रयान 3 का विक्रम लैंडर प्रज्ञान रोवर के साथ चांद की सतह उतरने की इस ऐतिहासिक क्षण का सीधा प्रसारण दिखाने की व्यवस्था की गई। इस मौके पर कुलसचिव डॉ विश्वास त्रिपाठी ने कहा कि इस ऐतिहासिक दिन का हम सभी भारतवासियों को बेसब्री से इंतजार था। जीबीयू प्रशासन ने छात्रों को इस दिन का साक्षी बनने का एक सुनहरा मौका प्रदान किया है। जिसका सभी छात्रों ने बड़ी संख्या में प्रतिभाग कर इस विलक्षण घड़ी का आनंद उठाया।भारत के चंद्रायन-3 की लैंडिंग एक यादगार अवसर है यह भारतीयों के लिए सामूहिक रूप से कौशल का जश्न मनाने का समय है। यह वैज्ञानिक जांच और नवाचार के माहौल को बढ़ावा देने में योगदान देगा।
सुरक्षित लैंडिंग के पश्चात भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहानेसबर्ग से इसरो के वैज्ञानिकों के साथ राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि यह हम भारतीयों के लिए गर्व का क्षण है। हम भारतीयों ने चांद का सपना देखा था और आज हम चांद पर हैं। यह हमारे समर्थ का और विश्व शक्ति बनने का साक्षात प्रतीक है। जो विश्व के किसी भी शक्तिशाली और समृद्ध राष्ट्र ना कर सके वह हमारे इसरो के वैज्ञानिकों ने कर दिखाया है।
इस सीधे प्रसारण को कुलपति, कुलसचिव के अलावा प्रोफेसर संजय शर्मा, डॉ मनमोहन सिंह, डॉ राकेश श्रीवास्तव, डॉ ओम प्रकाश, डॉ जेपी मुयाल, डॉ जितेंद्र राठौर, डॉ दीपाली सिंह, डॉ कविता सिंह और डॉ अरविंद कुमार सिंह सहित अनेक छात्र-छात्राओं के साथ इस अद्भुत क्षण के साक्षी बने।