ग्रेटर नोएडा। स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। देश भर में विभिन्न शैक्षणिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय (जीबीयू) सार्क पत्रकार फोरम के सहयोग से राष्ट्र निर्माण में पत्रकारिता की भूमिका विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने के लिए तैयार है। यह दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन 10 और 11 जनवरी 2023 को जीबीयू में होगा।
जीपीयू में आयोजित होने वाले दो दिवसीय कार्यक्रम में भारत, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान के पत्रकारों, शिक्षाविदों और शोध अध्येताओं सहित सौ से अधिक प्रतिभागियों के सम्मेलन में भाग लेने की उम्मीद है। इस कार्यक्रम की मेजबानी जनसंचार और मीडिया अध्ययन विभाग, मानविकी और सामाजिक विज्ञान संकाय द्वारा की जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के जी 20 की अध्यक्षता प्राप्त करने के साथ, इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का महत्व और भी अधिक है क्योंकि यह राष्ट्र निर्माण में पत्रकारों की भूमिका पर प्रकाश डालेगा। सम्मेलन पोस्ट ट्रुथ और फेक न्यूज के युग में पत्रकारिता के क्षेत्र में आने वाली बड़ी चुनौतियों को भी उजागर करेगा और राष्ट्र निर्माण के मार्ग का अनुसरण करने के सर्वोत्तम तरीकों के बारे में नवोन्मेषी विचारों का मंच बनेगा।
भारत आजादी के 75 साल और अपने लोगों, संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास के संदेश को जन जन तक पहुंचाने के लिए आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, इसलिए भी सम्मेलन अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्रता के बाद पत्रकारों की भूमिका को रेखांकित करने में सहायक होगा।
सम्मेलन के मुख्य संरक्षक और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. के. सिन्हा ने कहा, “हम एक ऐसा विश्वविद्यालय बनाने के लिए समर्पित हैं जो परिणाम आधारित और अनुसंधान संचालित हो और समाज में बड़े पैमाने पर योगदान दे। मुझे विश्वास है कि अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन न केवल नए ज्ञान का सृजन करेगा और सार्क देशों के नागरिकों को शिक्षित करेगा बल्कि शेष विश्व, विशेष रूप से पत्रकारिता समुदाय के लिए भी उपयोगी होगा।”
मानविकी और समाज विज्ञान संकाय की डीन और सम्मेलन की संरक्षक प्रो बंदना पांडे ने कहा, “हमारा संकाय शीर्ष स्तरीय शोध सम्मेलन आयोजित करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह सम्मेलन उसी दृष्टि की निरंतरता है। पत्रकारों को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। लेकिन हमेशा बदलती तकनीक और बदलते सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य के साथ राष्ट्र निर्माण में पत्रकारिता की भूमिका और दायरे की जांच करना महत्वपूर्ण है। इस संबंध में यह एक सामयिक सम्मेलन है और मैं सभी प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों का स्वागत करती हूं।”