मेरठ : जिले के एक इंटर कॉलेज प्रशासन का तानाशाही वाला रवैया सामने आया है. सावन के महीने में एक छात्रा माथे पर तिलक लगाकर और हाथ में रुद्राक्ष की माला बांधकर कॉलेज चली गई. इस पर उसे कॉलेज में प्रवेश ही नहीं दिया गया. छात्रा की मां ने स्कूल पहुंच शिकायत की तो उन्हें भी बुरा-भला कहा गया. मामला कुछ दिन पहले का बताया जा रहा है. मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक ने मामले की जांच कराने की बात कही है.
इसी साल छात्रा ने कॉलेज में लिया है प्रवेश : मामला मोदीपुरम के सुभाष इंटर कॉलेज का है. संध्या यहां 11वीं की छात्रा है. छात्रा का परिवार मूल रूप से सरधना के गनेशपुर गांव का रहने वाला है. वर्तमान में बच्चों की पढ़ाई और रोजगार की वजह से परिवार किराए के मकान में पावलीखास गांव में रहता है. छात्रा ने बताया कि सावन का महीना चलने के कारण वह बीते दिनों माथे पर तिलक लगाकर और रुद्राक्ष की माला हाथ में बांधकर कॉलेज चली गई थी. इस पर उसे कॉलेज से बाहर कर दिया गया. छात्रा की मां रजनी ने बताया कि उन्होंने इसी साल अपनी बेटी का कॉलेज में दाखिला कराया है. कांवड़ यात्रा की वजह से 10 से 16 जुलाई तक अवकाश था. तीन दिन से उनकी बेटी स्कूल जा रही थी. बीते दिनों उनकी बेटी माथे पर तिलक लगाकर और हाथ में रुद्राक्ष की माला बांधकर चली गई थी. इस पर कॉलेज प्रशासन ने उसे कॉलेज में आने से रोक दिया. बेटी से कहा कि अपने अभिभावक को लेकर कॉलेज आएं.
मां के समझाने पर भी नहीं मानीं प्रिंसिपल : रजनी ने बताया कि इसके बाद वह अपने देवर के साथ स्कूल गईं थीं. प्रिंसिपल को उन्होंने हिंदू धर्म की रीति-रिवाजों का हवाला भी दिया, लेकिन उसके बावजूद उनकी बेटी को स्कूल में न भेजने और नाम काटने की बात कहकर लौटा दिया गया. छात्रा की मां का कहना है कि उन्होंने प्रिंसिपल से गुहार लगाई कि केवल सावन महीने की ही बात है लेकिन प्रिंसिपल ने साफ मना कर दिया. मां ने छोटे साइज का तिलक लगाने की बात कही तब भी वह नहीं मानीं. छात्रा की मां का आरोप है कि प्रिंसिपल की इस हरकत से उनकी भावनाएं आहत हुईं हैं. हम हिंदू होकर भी तिलक नहीं लगा सकते हैं.
मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक कराएंगे मामले की जांच : प्रिंसिपल भावना चौहान का कहना है कि उन्हें छात्रा के इस रूप में आने पर आपत्ति थी, क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर यह लड़की इस तरह विद्यालय आएगी तो माहौल खराब हो सकता है. वहीं मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक ओंकार शुक्ला का कहना है कि धार्मिक भावनाओं के आधार पर किसी को पढ़ाई से नहीं रोका जा सकता है. अगर छात्रा को तिलक लगाकर कॉलेज आने से रोका गया है तो यह कतई उचित नहीं है. मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं. जांच में जो भी तथ्य निकल कर आएंगे. उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी.