नई दिल्ली. न्यूयॉर्क के मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट (Metropolitan Museum of Art- Met) से लौटाई गई 15 पुरानी कलाकृतियों के अगले 3 से 6 महीनों में भारत पहुंच जाने की उम्मीद है. केंद्रीय संस्कृति सचिव गोविंद मोहन ने रविवार को हम्पी में G20 संस्कृति कार्य समूह की तीसरी बैठक में मीडिया को यह जानकारी देते हुए कहा कि यह उन पुरानी कलाकृतियों (antiquities) की पहली खेप है, जिसे मेट ने स्वेच्छा से भारत लौटने पर सहमति जताई है. उन्होंने कहा कि ये उन 150 पुरावशेषों में शामिल होंगे जो 3 से 6 महीनों में अमेरिका से भारत लौट आएंगे.
संस्कृति सचिव गोविंद मोहन ने कहा कि न्यूयॉर्क के म्यूजियम से वापस मिले 15 सामानों के अलावा अन्य सामान वे हैं, जिन्हें अमेरिकी अधिकारियों ने जब्त कर लिया था और उनको न्यूयॉर्क अटॉर्नी जनरल कार्यालय में रखा गया था. उन्होंने कहा कि ‘हम कोशिश कर रहे हैं कि हमारी टीम वहां जाए, उनका सत्यापन करे और उन्हें वापस लाए.’ ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक जांच के बाद न्यूयॉर्क के मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट में भारत की कलाकृतियों के इस खजाने का पता एंटीक डीलर सुभाष कपूर से लगाया गया था. जो तमिलनाडु में पुरानी कलाकृतियों की तस्करी के लिए जेल की सजा काट रहा है.
न्यूयॉर्क के मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट ने 30 मार्च को एक बयान जारी कर कहा था कि यह जानने के बाद कि कलाकृतियां भारत से अवैध रूप से चुराई गई थीं, वह ‘भारत सरकार को वापसी के लिए 15 मूर्तियां सौंप देगा. इस बयान में कहा गया है कि “सभी कलाकृतियां एक समय में भारत में जेल की सजा काट रहे डीलर सुभाष कपूर ने बेची थीं.’ इन 15 वस्तुओं में पश्चिम बंगाल में पहली शताब्दी ईसा पूर्व की यक्षिणी की टेराकोटा मूर्ति, शिकार से लौटते हुए भगवान रेवंता की एक कांस्य मूर्ति (10वीं शताब्दी) और 15वीं सदी का परिकर (Backplate) शामिल है.
अधिकारियों ने कहा कि भारत में वापस आने के लिए तय अन्य सामानों में संगमरमर, टेराकोटा और बलुआ पत्थर की बनी कई कलाकृतियां शामिल हैं. जो पहली शताब्दी ईसा पूर्व से 15 वीं शताब्दी ईस्वी तक के बीच 1600 साल की अवधि के हैं. उनकी बड़ी ऐतिहासिक और बाजार कीमत है. सांस्कृतिक विरासत की पुनर्स्थापना भारत की G20 प्रेसीडेंसी के तहत सांस्कृतिक महत्व के मुख्य विषयों में से एक है. मोहन ने कहा कि 1970 का यूनेस्को कन्वेंशन सभी हस्ताक्षरकर्ताओं को स्वेच्छा से उन सभी कलाकृतियों को वापस करने का आदेश देता है जो या तो औपनिवेशिक लूट या तस्करी, चोरी या ऐसे अन्य साधनों के जरिये औपनिवेशिक लूट के कारण वहां ले जाए गए हैं.