उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक बिल्डर को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में एक स्थानीय अदालत ने दक्षिण अफ्रीका के दो कारोबारियों को शनिवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. सतिंदर सिंह उर्फ बाबा साहनी शुक्रवार को अपनी बेटी की इमारत की आठवीं मंजिल से कूद गए थे और चोटों के चलते अस्पताल में उनकी मौत हो गई.
पुलिस ने पूर्व में बताया था कि साहनी के बेटे रणवीर सिंह की शिकायत और बिल्डर द्वारा कथित तौर पर लिखे ‘सुसाइड नोट’ के आधार पर, पुलिस ने अनिल गुप्ता तथा अजय गुप्ता के खिलाफ एक मामला दर्ज किया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने कहा कि अदालत ने दोनों आरोपियों को 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है. उन दोनों को राजपुर पुलिस थाने में दर्ज भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के तहत गिरफ्तार किया गया.
कांग्रेस ने की उच्च स्तरीय जांच की मांग
इस बीच, कांग्रेस की उत्तराखंड इकाई ने शनिवार को कहा कि इसकी उच्च स्तरीय जांच का आदेश देना चाहिए कि इन दोनों कारोबारियों को कौन बचा रहा है. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख करण माहरा ने कहा कि गुप्ता बंधुओं के उच्च पदस्थ राजनीतिक नेताओं से संबंध हैं. वे दोनों दक्षिण अफ़्रीका में भी वांछित हैं. उनकी गतिविधियां हमेशा संदिग्ध रही हैं लेकिन न तो केंद्र और न ही उत्तराखंड सरकार ने कभी उनके खिलाफ कार्रवाई की.
आगे उन्होंने कहा कि गुप्ता बंधुओं को कौन बचा रहा है, इसका पता लगाने के लिए एक उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिया जाना चाहिए. गुप्ता बंधुओं में से एक, दक्षिण अफ्रीका में सरकारी स्वामित्व वाले उद्यमों से अरबों रुपये की लूट में कथित भूमिका के लिए वहां वांछित है. भारतीय मूल के परिवार के अतुल, अजय और राजेश गुप्ता पर पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा के साथ अपने करीबी संबंधों के जरिए दक्षिण अफ्रीका में अरबों रेंड (दक्षिण अफ्रीकी मुद्रा) की हेराफेरी करने का आरोप है.
जुमा के 2018 में राष्ट्रपति पद से हटने के बाद ये तीनों और उनके परिवार दुबई भाग गये थे. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने 2023 में राजेश और अतुल के प्रत्यर्पण के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था जिसके बाद दक्षिण अफ्रीका ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया था. दोनों भाइयों ने आईटी, मीडिया और खनन क्षेत्र में एक विशाल साम्राज्य खड़ा किया था.