यूपी के बरेली जिले का एसएसपी ऑफ़िस ‘वार रूम’ बना हुआ था. पहले 14 और फिर 22 टीमों में बंटे कम से कम 100 पुलिस वाले 1500 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाल रहे थे. इस दौरान जिले में 600 नए सीसीटीवी कैमरों का इंस्टालेशन कराया गया. 25 किमी के दायरे में 1.5 लाख मोबाइल नंबरों के डंप डाटा की जांच की गई. ये कड़ी मशक्कत और जोरदार तफ़्तीश आख़िरकार रंग लाई. और फिर साल भर बाद पुलिस के शिकंजे में आया वो शातिर ‘सीरियल किलर’ जिसने एक बाद एक 9 महिलाओं का कत्ल किया. और बावजूद वो गुमनाम कातिल बनकर खुला घूम रहा था.
सीरियल किलर का खौफ
हम बात कर रहे हैं उस सीरियल किलर की, जिसने बरेली जिले के 90 गांवों के लोगों की नींद हराम कर रखी थी. वो सीरियल किलर, जिसके चलते महिलाओं ने घर से अकेले बाहर निकलना बंद कर दिया था. वो सीरियल किलर, जिसके चलते लोग खेतों में काम करने नहीं जाते थे. जिसकी वजह से महिलाएं अपने साथ हथियार लेकर चलने को मजबूर थीं. लेकिन आखिरकार वो दरिंदा साल भर बाद पकड़ा गया.
सवाल दर सवाल!
अब सवाल था कि आखिर ये सीरियल किलर क्यों चुन-चुन कर महिलाओं की ही जान ले रहा था? क्यों वो सुनसान सड़कों पर अकेली महिलाओं को टारगेट करता था? क्यों उसने क़त्ल के लिए सिर्फ़ 50 से 60 साल की उम्र वाली महिलाओं को ही चुना? क्यों उसने हर क़त्ल साड़ी के पल्लू या फिर महिलाओं के दुपट्टे से किया? और आख़िर उसके दिमाग में ऐसा क्या चलता था कि वो सिर्फ महिलाओं को ही मारता था?
तफ्तीश का अजीब पहलू या इत्तेफाक!
ये सवाल जितने अहम हैं, सीरियल किलर की गिरफ्तारी के बाद इनके जवाब भी उतने ही चौंकाने वाले सामने आए हैं. लेकिन इससे पहले कि हम साल भर से रहस्य बने इस सीरियल किलर के पहले क़त्ल से लेकर उसके पकडे जाने तक की पूरी कहानी आपको तफ्सील से सुनाएं, आइए सबसे इस सीरियल किलर की तलाश के लिए चलती तफ्तीश के एक अजीब पहलू पर या यूं कहें कि एक अजीब इत्तेफाक पर नजर डालते हैं.
तीन में से दो स्केचेस से मेल खाता है किलर का चेहरा
सबसे पहले जब उस सीरियल किलर का चेहरा सामने आया और पकड़े जाने के बाद पुलिस उसे लेकर मीडिया के सामने आई तो पता चला कि इसी सीरियल किलर के पकड़े जाने से महज़ एक रोज़ पहले पुलिस की ओर से जारी किए गए तीन स्केचेस में से खास कर दो स्केचेस पर सबका ध्यान गया. असल में उन स्केसेच से पकड़े गए आरोपी का चेहरा हु ब हू मिलता है. कुछ इतना जिसे शायद आइडेंटिकल कहें, तो भी ये गलत नहीं होगा. ठीक स्केचेस में मौजूद संदिग्ध कातिल की तरह ही पकड़े गए आरोपी का माथा चौड़ा है, सिर में बाल कम हैं या फिर छोटे-छोटे हैं चेहरा गोल है, आंखें बड़ी-बड़ी और नाक चपटी सी है जबकि दोनों ही स्केच में दिख रहे कातिल की तरह ही पकड़े गए आरोपी ने भी चेक शर्ट ही पहन रखी है.
पुलिस के आर्टिस्ट ऐसे बनाते हैं स्केच
आम तौर पर किसी संदिग्ध के स्केच के साथ पकड़े गए मुल्जिम की इतनी सिमिलैरिटी देखने को नहीं मिलती, क्योंकि अलग-अलग चश्मदीद लोग संदिग्ध आरोपियों के चेहरे याद कर उन्हें स्केच आर्टिस्ट को बताते हैं और आर्टिस्ट उन्हें कागजों पर उतारते हैं. जिसमें कोई ना कोई कमी रह जाती है. लेकिन यहां लगता है कि देखने वालों ने आर्टिस्ट को बिल्कुल सटीक जानकारी दी और स्केच जारी होने के महज़ एक दिन बाद ही पुलिस ने संदिग्ध कातिल को गिरफ्तार भी कर लिया.
पुलिस ने पहले क्यों नहीं किया ये काम?
अब सवाल उठता है कि अगर स्केच जारी होने के अगले ही दिन पुलिस को कामयाबी मिल गई, तो फिर पुलिस ने पहले ही ये काम क्यों नहीं किया? क्यों करीब साल भर तक बरेली पुलिस महिलाओं के क़त्ल की एक जैसी वारदातों को एक-दूसरे से जोड़ कर देखने में नाकाम रही? क्यों पुलिस इसे पहले सीरियल किलर की करतूत नहीं समझ सकी? ये एक अहम सवाल है, क्योंकि पुलिस की इस नासमझी की वजह से जिले में एक-एक कर करीब 9 महिलाएं सीरियल किलर के हाथों मारी गईं और जब तक वो पकडा गया, तब तक काफी देर हो गई…
हत्याओं में गजब की सिमिलैरिटी
अब आइए सिलसिलेवार तरीके से ये पूरी कहानी समझते हैं. बरेली जिले के तीन थाना इलाकों शाही, शीशगंज और फतेहगंज में पिछले साल जुलाई महीने से ही रह-रह कर महिलाओं की हत्याएं हो रही थी. और इन हत्याओं में गजब की सिमिलैरिटी थी. मतलब तकरीबन सारी की सारी हत्याएं दोपहर के वक़्त हुई थी. क़ातिल जो भी था महिलाओं को और खास कर 50 से 60 साल के एज ग्रुप की महिलाओं की हत्याएं कर रहा था. वो उन्हीं महिलाओं की हत्या करता था, जो अकेली होती थीं. हत्या के लिए वो महिलाओं की साड़ी के पल्लू या फिर उनके दुपट्टों का ही इस्तेमाल करता था और उनके गले के बांयी ओर गांठ लगा देता था. एक और खास बात ये थी कि ज्यादातर क़त्ल गन्ने के खेतों में या उसके आस-पास ही हुए थे. और ये सारी बातें इस बात की ओर ईशारा कर रही थी कि क़त्ल की इन वारदातों के पीछे किसी सीरियल किलर का ही हाथ है.
ऐसे सामने आया सीरियल किलिंग का मामला
खास बात ये है कि इस सीरियल किलर ने पिछले साल जुलाई से लेकर नवंबर महीने तक एक-एक कर तकरीबन पांच से छह महिलाओं कत्ल किया, लेकिन इसके बाद ये काफी दिनों तक इनएक्टिव रहा. यानी इसके बाद इसने फिर लंबे वक्त तक किसी को अपना शिकार नहीं बनाया. मगर इसी साल जुलाई के महीने में 2 तारीख को इसने उसी शाही थाना इलाके में एकाएक फिर एक और महिला की हत्या कर दी और पुलिस की रडार में आ गया. असल में पुलिस ने गौर किया कि इस महिला की हत्या भी ठीक उसी तरह की गई थी, जिस तरह पिछले साल पांच या छह महिलाओं की हत्या हुई थी. ऐसे में पुलिस ने इसे सीरियल किलिंग से जोड कर देखना शुरू किया और फिर नए सिरे से अपनी तफ्तीश चालू की, जिसे नाम दिया ‘ऑपरेशन तलाश.’
35 साल का है सीरियल किलर कुलदीप
और इस सिलसिले में पुलिस ने संदिग्ध स्केचेस भी बनवाए और आखिरकार मुखबिरों से मिले इनपुट और संदिग्ध हरकतों को देखते हुए पुलिस ने 35 साल के कुलदीप नाम के एक शख्स को गिरफ्तार कर लिया, जिसने एक-एक कर ना सिर्फ कई महिलाओं का क़त्ल करने की बात कबूल कर ली, बल्कि पूछताछ के दौरान पुलिस को हर उस जगह पर ले कर गया, जहां उसने महिलाओं की हत्या की थी.
ये थी महिलाओं का कत्ल करने की वजह
अब सवाल ये है कि आखिर ये सीरियल किलर महिलाओं की ही जान क्यों लेता था? और वो भी बिल्कुल एक तरीके से? तो पुलिस ने इसका भी जवाब दिया. पुलिस का कहना है कि आरोपी नशे का आदी था और उसकी निजी जिंदगी में भी काफी उथल-पुथल थी. उसकी मां की मौत के बाद सौतेली मां घर में आई, जिसने कथित तौर पर उसे काफी परेशान किया, जिससे वो महिलाओं से चिढ़ने लगा था. इसके बाद उसकी शादीशुदा जिंदगी भी ठीक नहीं रही. उसकी आदतों से उब कर उसकी बीवी उसे छोड़ कर चली गई. जिसके बाद महिलाओं से उसकी नाराजगी और भी बढ़ गई और फिर वो महिलाओं को टारगेट करने लगा. वो अकेली महिलाओं को देख कर उनसे रिलेशन बनाने की कोशिश करता, जो तैयार हो जाती, उन्हें छोड़ देता और जो ना करती, उनकी हत्या कर देता. चूंकि वो ये सब बगैर किसी हथियार के ही करता था, वो महिलाओं के कपड़ों से ही गला घोंट कर उनकी जान लेता था.
ऐसे पुलिस के रडार पर आया कुलदीप
पुलिस की मानें तो बरेली के ही ग्रामीण इलाके से आने वाला कुलदीप एक बंजारे की तरह जिंदगी जीता था और अक्सर से बाहर रहता था. उसका अपना घर नहीं था वो अक्सर अपनी दो बहनों या रिश्तेदारों के यहां खाने-पीने के लिए पहुंचता और फिर खाना खाकर बाहर निकल जाता. लोग उसे देखते और जानते थे, लेकिन कभी ये नहीं समझ सके कि कुलदीप ही महिलाओं का कत्ल कर रहा है. इसलिए वक्त गुजरता और वारदातें होती रहीं लेकिन वो पहले पकड़ा नहीं गया. वो तो जब पुलिस ने ऐसे घूमने-भटकने वाले लोगों, नशे के आदी और संदिग्ध लोगों की सूची बनाने की शुरुआत की, तब कुलदीप पुलिस के रडार पर आया.
कातिल के पास मिला महिलाओं का ये सामान
इसके बाद जब उसके व्यवहार, निजी जिंदगी और उसकी हरकतों का पता चला तो पुलिस का शक उस पर गहरा किया और शक के आधार पर ही उसकी गिरफ्तारी भी हुई. लेकिन जब पूछताछ हुई, तो उसने ना सिर्फ कत्ल की बातें कबूल कीं, बल्कि उसके पास कुछ महिलाओं के कपड़े, उसने लूटे गए हंसिये, आधार कार्ड और रुपयों की बरामदगी हुई, जिससे मामला पूरी तरह साफ हो गया कि महिलाओं की जान लेने वाला कोई और नहीं बल्कि कुलदीप ही है.
सौतेली मां और बीवी से नफरत ने बना दिया कातिल
महिलाओं से मिले रिजेक्शन ने बरेली के सीरियल किलर को इतना पागल बना दिया था कि वो महिलाओं को देखते ही उन्हें नुकसान पहुंचाने की सोचने लगता था. पुलिस ने जब कुलदीप नाम के इस शख्स को गिरफ्तार किया, तो उसने माना कि उसकी निजी ज़िंदगी में उसे महिलाओं ने काफी परेशान किया. पहले सौतेली मां ने और फिर उसकी बीवी ने. जिसके चलते वो महिलाओं से नफरत करने लगा था. चूंकि उसकी बीवी घर छोड़ कर चली गई थी, वो शादीशुदा होने के बावजूद वैवाहिक जीवन नहीं जी पा रहा था.
बाइपोलर डिस्ऑर्डर का शिकार है सीरियल किलर
वो जहां कहीं भी किसी अकेली महिला को देखता, उसके साथ रिलेशन बनाने की कोशिश करता था. और जैसे ही महिलाएं इससे इनकार करती वो उनकी जान ले लेता था. पुलिस ने बताया कि वो भांग के नशे का आदी होने के साथ-साथ बाइपोलर डिस्ऑर्डर जैसी बीमारी का भी शिकार है, जिसमें उसे कुछ बातें याद रहती हैं और कुछ याद नहीं रहती. पुलिस ये जान कर हैरान रह गई कि जब पुलिस वालों ने वर्दी में उससे पूछताछ की, तो वो ज्यादातर सवालों पर खामोश रहा, लेकिन जब भी पुलिस ने उससे बगैर वर्दी के सवाल पूछे उसने सारे सवालों के जवाब खुल कर दिए. चूंकि उसके पास मोबाइल फोन, बैंक एकाउंट, साइकिल, बाइक जैसी कोई भी चीज़ नहीं थी, पुलिस को उसका सर्विलांस करने में दिक्कत हुई और इसीलिए उसकी गिरफ्तारी में भी देरी हुई.