इसरो के 4.7 टन वजनी उपग्रह जीसैट-20 को अमेरिकी कंपनी स्पेसएक्स का रॉकेट फाल्कन 9 अंतरिक्ष में ले जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी की व्यावसायिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लि. (एनएसआईएल) ने बुधवार को पहली बार स्पेसएक्स की सेवाएं लेने की घोषणा की। यह प्रक्षेपण साल की दूसरी तिमाही में हो सकता है।
इसरो के पास इस समय सबसे शक्तिशाली रॉकेट जीएसएलवी-एमके3 है। यह चार हजार किलो वजनी उपग्रह जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में ले जा सकता है। जीसैट-20 इस क्षमता से 700 किलो अधिक वजनी है। इसी वजह से पहली बार एलन मस्क की स्पेस एजेंसी स्पेसएक्स की सेवाएं ली जा रही हैं। फाल्कन-9 रॉकेट 8,300 किलो वजनी उपग्रह जीटीओ में पहुंचा सकता है।
इसरो बना रहा 10 टन क्षमता का रॉकेट
इस बार की तरह भारत को लंबे समय तक विदेशी रॉकेटों के भरोसे नहीं रहना होगा। मौजूदा रॉकेटों की सीमित क्षमता से आगे बढ़ते हुए भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी अगली पीढ़ी का लॉन्च व्हीकल (एनजीएलवी) विकसित करने में जुटी है। एनजीएलवी में 10 हजार किलो वजनी उपग्रह या उपकरण जीटीओ में ले जाने की क्षमता होगी।
अंडमान व लक्षद्वीप तक मिलेंगी उपग्रह से सेवाएं
जीसैट-20 एक संचार उपग्रह है। जल्द ही इसका नया नामकरण जीसैट-एन2 किया जाएगा। इसके जरिए ब्रॉडबैंड, उड़ान के दौरान व सामुद्रिक संचार (आईएफएमसी) और सेल्यूलर बैकहॉल सेवाओं से जुड़ी जरूरतें पूरी होंगी। इसमें केए-केए बैंड हाई थ्रूपुट सैटेलाइट (एचटीएस) क्षमता होगी, जिसे 48 जीबीपीएस माना जा रहा है। इससे एक साथ 32 बीम प्रसारित करने की क्षमता मिलेगी। जीसैट-20 देश के दूरदराज क्षेत्रों को कवर कर सकेगा।