नोएडा। उत्तर प्रदेश के नोएडा में पुलिस ने एक ऐसे जालसाज को गिरफ्तार किया है जो यूपी कॉप ऐप से एफआईआर की कॉपी निकालकर लोगों से धोखाधड़ी कर रहा था। वह लोगों को कॉल कर कभी खुद को एसपी तो कभी कलेक्टर बताता था। आरोपी मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ के गांव बारी का रहने वाला है। उसने बताया कि उसके गांव के कई लड़के इसी तरह लोगों के साथ धोखाधड़ी करते हैं।
पुलिस ने बताया कि एक पीड़ित ने 20 अगस्त को थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी कि 19 अगस्त की शाम जब वह अपनी पत्नी के साथ सब्जी लेकर अपने घर जा रहा था, रास्ते में कुछ लोगों ने चेतराम वाली गली में उसके साथ मारपीट की। इस घटना में उसकी पत्नी को चोट भी आई थी। पुलिस ने मामला दर्ज कर दोनों का मेडिकल करवाया था।
एफआईआर दर्ज होने के बाद अगले दिन 21 अगस्त को सोशल मीडिया पर एक ऑडियो क्लिप वायरल हुआ जिसमें किसी नारायण वर्मा नाम के व्यक्ति ने खुद को एसपी कार्यालय से साइबर सेल का प्रभारी बताकर बात की थी। उसने पीड़ित से कहा की वह सभी अपराधियों को तुरंत गिरफ्तार कर जेल भेज देगा और छह महीने तक जमानत नहीं होने देगा। इसके बाद उसने ऑनलाइन 3000 रुपये की मांग की। पीड़ित ने जब पैसे देने से मना किया तो उसने गाली-गलौच करनी शुरू कर दी। उसने पीड़ित के मुकदमे की फाइल दबा देने और कोई कार्रवाई न करने धमकी दी।
पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल इस ऑडियो क्लिप का तत्काल संज्ञान लेते हुए घटना के सम्बन्ध शिकायत लेकर आरोपी की तलाश शुरू कर दी। आरोपी के मोबाइल को इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के माध्यम से ट्रेस किया गया तो उसकी पहचान धीरेन्द्र यादव, निवासी जनपद टीकमगढ़ मध्य प्रदेश के रूप में हुई।
पुलिस ने अभियुक्त धीरेन्द्र यादव को उसके निवास ग्राम बारी से गिरफ्तार किया है। आरोपी धीरेन्द्र यादव ने बताया कि वह आम जनमानस की सुविधा के लिए उत्तर-प्रदेश पुलिस द्वारा चलाये गये यूपी कॉप ऐप का गलत प्रयोग कर दूर इलाके के थाने के मामलों में पीड़ितों से जल्द कार्रवाई करने की बात कह कर पैसे की मांग कर क्यूआर कोड एवं यूपीआई के माध्यम से ऑनलाइन पैसे की मांग करता था। यदि शिकायतकर्ता पैसे देने से मना करता था तो उसकी फाइल को दबा देने एवं कोई कार्रवाई न करने की धमकी दी जाती थी।
पुलिस ने बताया है कि अभियुक्त धीरेन्द्र यादव 10वीं फेल है। वह पिछले एक साल से यही काम कर रहा है। वह पहले भी जनपद गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में शिकायतकर्ताओं से कॉल कर पैसे की मांग कर चुका है। अभियुक्त ने पूछताछ में बताया कि उसके गांव में लगभग सात-आठ लड़के यही काम करते हैं। वे सुबह जंगल में चले जाते हैं और यूपी कॉप ऐप से एफआईआर निकालते हैं। वे ऐप से यह जानकारी निकालते हैं कि किस प्रकार का मुकदमा किन धाराओं में लिखा गया है। ऐप से ही जांच अधिकारी का भी नाम पता कर लेते हैं। इसके बाद अपना टारगेट फिक्स करते हैं। ठगी करने वाले लोग कानून में आईपीसी/बीएनएस की धाराओं की अच्छी जानकारी रखते हैं।
अभियुक्त द्वारा पीड़ित से करीब 3,000 से 5,000 रुपये की मांग की जाती थी ताकि लोग आसानी से पैसे दे दें। अभियुक्त जिस सिम से कॉल करता था, उस सिम के उपभोक्ता का नाम-पता फर्जी रहता था।