लालकिले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 चुनाव को लेकर बड़ी भविष्यवाणी कर दी है. प्रधानमंत्री ने कहा- अगली बार इसी लालकिले से देश की उपलब्धि और देश का गौरव गान प्रस्तुत करूंगा. मोदी ने कहा कि अभी जिन योजनाओं का शिलान्यास कर रहा हूं, उसका उद्घाटन भी मै ही करूंगा.
प्रधानमंत्री के इस दावे को राजनीतिक जानकार विपक्ष पर मनोवैज्ञानिक दबाव के रूप में देख रहे हैं. हाल ही में ममता बनर्जी और नीतीश कुमार की पार्टी ने कहा था कि लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री का यह अंतिम संबोधन होगा.
प्रधानमंत्री ने लालकिले से एक बार फिर परिवारवाद, तुष्टीकरण और भ्रष्टाचार से लड़ने का आह्वान किया है. मोदी पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने लगातार 10वीं बार लाल किले के प्राचीर से झंडा फहराया है.
स्पीच-1: 5 साल महत्वपूर्ण, मैं ही लालकिले से तिरंगा फहराऊंगा
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- 2047 में देश जब स्वतंत्रता के 100 साल का जश्न मनाए तो हमारे भारत का तिरंगा दुनिया में विकसित देश की पहचान के साथ लहराए. इसलिए आगामी 5 साल काफी अहम है. अगले 5 साल में भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनाना है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं ही इस लाल किले से अगले साल भी देश का गौरव गान प्रस्तुत करूंगा.
भाषण के मायने क्या हैं?
प्रधानमंत्री ने देश के लोगों से अपील करते हुए साफ कह दिया है कि भविष्य का 5 साल काफी अहम है, इसलिए विपक्ष पर भरोसा न करे. मोदी की गारंटी का जिक्र कर उन्होंने लोगों को सबकुछ सही होने का भरोसा देने की कोशिश किया है.
प्रधानमंत्री ने भाषण के जरिए विपक्ष को भी संदेश दिया है कि अभी दिल्ली में कोई स्कोप नहीं है. विपक्ष के 26 दलों ने महागठबंधन तैयार किया है, जिसका नाम I.N.D.I.A रखा है.
लोकसभा में भी प्रधानमंत्री ने कहा था कि अगले चुनाव में बीजेपी रिकॉर्ड जीत दर्ज करेगी. बीजेपी की रणनीति 2024 में 400 सीटों पर जीत हासिल करने की है. इसके लिए 38 दलों को एकजुट भी किया है.
स्पीच-2: विश्वकर्मा योजना की शुरुआत, नजर ओबीसी वोटरों पर
90 मिनट के भाषण के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में विश्वकर्मा जयंति पर हम 13-15 हजार करोड़ रुपए से नई ताकत देने के लिए एक योजना की शुरुआत करने जा रहे हैं. हम आने वाले महीने में विश्वकर्मा जयंती पर विश्वकर्मा योजना शुरू करेंगे.
भाषण के मायने क्या हैं?
विश्वकर्मा योजना के जरिए बीजेपी ओबीसी जातियों को साधने की कोशिश कर रही है. मोदी सरकार इससे जातीय जनगणना की मांग को कुंद करना चाहती है. देश के हरेक लोकसभा सीट पर ओबीसी जातियां करीब 40-50 फीसदी तक है.
सीएसडीएस के मुताबिक 2014 में पूरे देश में ओबीसी समुदाय का 34 फीसदी और 2019 में 44 फीसदी वोट बीजेपी को मिला था. इसी वोट के जरिए दोनों चुनाव में बीजेपी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में सफल हुई.
लोकसभा से पहले जिन राज्यों में विधानसभा के चुनाव है, वहां भी ओबीसी जातियों का दबदबा है. एक अनुमान के मुताबिक मध्य प्रदेश में 48 फीसदी, राजस्थान में 55 फीसदी और छत्तीसगढ़ में 48 फीसदी ओबीसी वोटर्स हैं.
मध्य प्रदेश में बीजेपी तो राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है.
स्पीच-3: परिवारवाद और तुष्टीकरण को मिटाना है
अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा- भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण देश के विकास के लिए सबसे बड़ी समस्या है. यह तीनों मिलकरगरीब, पिछड़े, आदिवासियों और पसमांदा मुसलमानों का हक छिनती हैं. इन्हें हमें जड़ से मिटाना होगा.
मोदी ने आगे कह कि किसी राजनीतिक दल का प्रभारी केवल एक ही परिवार कैसे हो सकता है? कुछ लोगों का जीवन मंत्र है- परिवार की पार्टी, परिवार द्वारा और परिवार के लिए.
भाषण के मायने क्या हैं?
प्रधानमंत्री ने लालिकला से परिवारवाद का जिक्र कर एक साथ कांग्रेस, तृणमूल, आरजेडी, झामुमो, शिवसेना (यूबीटी), सपा और एनसीपी को निशाने पर लिया है. विपक्षी गठबंधन में इन दलों का रोल काफी अहम हैं. इन दलों की वजह से बीजेपी का उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र और बंगाल का खेल खराब हो सकता है.
भ्रष्टाचार का जिक्र कर प्रधानमंत्री ने आप पर सीधे तौर पर निशाना साधा है. लोकसभा में प्रधानमंत्री ने इशारों ही इशारों में आप को कट्टर भ्रष्ट पार्टी करार दिया था.
तुष्टीकरण के जरिए प्रधानमंत्री ने पसमांदा को साधा है. बीजेपी का कहना है कि विपक्षी दलों ने मुसलमान के नाम पर सिर्फ कुछ वर्गों को फायदा पहुंचाया, जबकि मुस्लिम समुदाय का पसमांदा अभी भी पिछड़ा हुआ है.
हाल ही में बीजेपी ने पसमांदा समाज से आने वाले नेताओं को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है.
स्पीच-4: यह शिलान्यास-उद्घाटन दोनों करने वाली सरकार
प्रधानमंत्री ने लालकिले के प्राचीर से कहा- यह मोदी काल है. यहां शिलान्यास वाली सरकार ही कामों का उद्धाटन करती है. आज भारत पुरानी सोच, पुराने ढर्रे को छोड़ करके, लक्ष्यों को तय करके लक्ष्यों को प्राप्त करने में विश्वास रखता है.
प्रधानमंत्री मोदी ने भाषण के जरिए भारत के भविष्य की बुनियाद रखने की कोशिश की. उन्होंने कहा- अमृतकाल के इस कालखंड में हम जो करेंगे, जो कदम उठाएंगे, जितना त्याग करेंगे, तपस्या करेंगे, उसका असर 1000 सालों तक होगा.
भाषण के मायने क्या हैं?
यह अटकाने और लटकाने वाली सरकार नहीं है. मोदी सरकार के कामकाज का तरीका यूपीए की तुलना में अलग है. मनमोहन सरकार में जिन कामों का शिलान्यास होता था, उसका उद्धाटन तय समय पर नहीं हो पाता था.
जातीय और धार्मिक समीकरण के अलावा कामकाज को भी बहस में लाने की रणनीति है.