दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा की याचिकाएं खारिज कर दीं, जिनमें उन्होंने भगोड़े हथियार कारोबारी संजय भंडारी से जुड़े मामले में आयकर विभाग के मूल्यांकन को सामान्य मूल्यांकन की जगह ‘सेंट्रल सर्किल’ में स्थानांतरित करने के विभाग के फैसले को चुनौती दी थी। अदालत ने संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट, जवाहर भवन ट्रस्ट, राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट, यंग इंडियन और आम आदमी पार्टी की वे अलग-अलग याचिकाएं भी खारिज कर दीं, जिनमें समान कानूनी मुद्दे उठाए गए थे।
इस आदेश को दी थी चुनौती
गांधी परिवार ने प्रधान आयुक्त (आयकर) द्वारा जनवरी 2021 में जारी उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें आकलन वर्ष 2018-19 के लिए उनके मामलों को ‘सेंट्रल सर्किल’ में स्थानांतरित करने की बात कही गई थी। ‘सेंट्रल सर्किल’ को कर चोरी की जांच तथा इसकी रोकथाम का काम सौंपा गया है। वह तलाशी के दौरान जांच शाखा द्वारा एकत्र किए गए सबूतों को अपने कब्जे में ले लेता है। न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, “याचिकाकर्ताओं के मूल्यांकन को कानून के अनुसार सेंट्रल सर्किल में स्थानांतरित कर दिया गया है। वर्तमान रिट याचिकाएं खारिज की जाती हैं।”
न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की पीठ ने सभी नौ मामलों में दिए गए अपने समान फैसले में कहा, “इस न्यायालय का विचार है कि याचिकाकर्ताओं के आकलन को (आईटी) अधिनियम की धारा 127 के तहत पारित किए गए आक्षेपित आदेशों के माध्यम से कानून के अनुसार केंद्रीय सर्कल में स्थानांतरित कर दिया गया है। तदनुसार, लंबित आवेदनों सहित वर्तमान रिट याचिकाओं को खारिज किया जाता है।” पीठ ने कहा, “निसंदेह, कोई ‘जुड़ाव के कारण अपराधी’ या ‘रिश्तों के कारण अपराधी’ नहीं हो सकता है, फिर भी रिट याचिकाओं के वर्तमान समूह में, याचिकाकर्ताओं के आकलन को केवल समन्वित जांच और सार्थक मूल्यांकन के उद्देश्य से स्थानांतरित किया गया है।”
जानें कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
अदालत ने स्पष्ट किया कि उसने “गुण-दोष के आधार पर पक्षों के बीच विवाद” की जांच नहीं की है। अदालत ने अपने 44 पन्नों के फैसले में कहा कि सेंट्रल सर्किल का अधिकार क्षेत्र मामलों की तलाशी तक ही सीमित नहीं है और किसी भी करदाता के पास कोई मौलिक या निहित कानूनी अधिकार नहीं है, जिसका मूल्यांकन एक ऐसे मूल्यांकन अधिकारी द्वारा किया जाए जो कभी आपके सामने न आया हो। अदालत ने कहा, “सेंट्रल सर्किल का न्यायक्षेत्र सिर्फ उन मामलों तक सीमित नहीं है जहां तलाशी ली गई हो। जहां समन्वित जांच की आवश्यकता होती है वहां गैर तलाशी वाले मामलों में भी सेंट्रल चार्ज को अधिकार प्रदान किया गया है। 25 अप्रैल, 2014 के परिपत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि गैर-तलाशी वाले मामलों को सेंट्रल सर्कल में स्थानांतरित करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।”
वाद्रा का भंडारी के साथ कारोबारी संपर्क होने से इंकार
गांधी परिवार ने अपने मामले ‘सेंट्रल सर्किल’ को स्थानांतरित किए जाने का विरोध करते हुए दलील दी थी कि उनका संजय भंडारी समूह के मामलों से कोई लेना-देना नहीं है। धन शोधन के आरोपों में भारत में वांछित भंडारी के प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाद्रा के साथ, लंदन स्थित फ्लैट को लेकर कथित संबंध बताए जाते हैं। वाद्रा ने भंडारी के साथ कोई भी कारोबारी संपर्क होने से इंकार किया है।
गांधी परिवार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने कहा कि उनके मामलों को सेंट्रल सर्किल में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता था क्योंकि उनके संबंध में किसी भी तलाशी या जब्ती का कोई सवाल ही नहीं था। आयकर विभाग का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा था कि स्थानांतरण आदेश “बेहतर समन्वय, प्रभावी जांच और सार्थक मूल्यांकन” के लिए जारी किए गए थे, जो प्रशासनिक सुविधा और तात्कालिकता को दर्शाता है।