झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेता हेमंत सोरेन को देश की सबसे बड़ी अदालत से झटका लगा है. शुक्रवार (2 फरवरी, 2024) को सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूर्व सीएम की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से गिरफ्तारी में दखल देने से जुड़ी अर्जी सुनने से साफ इनकार कर दिया. टॉप कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूर्व सीएम को सूबे के हाईकोर्ट का रुख करने की सलाह दी. अदालत की ओर से कहा गया कि वह भूमि से जुड़े मामले में गिरफ्तारी के खिलाफ वाली याचिका वहीं लेकर जाएं.
सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने दो टूक कहा, आप हाईकोर्ट क्यों नहीं जाते हैं? कृपया हाईकोर्ट का रुख करिए. मेरे साथी जज भी इस बात से सहमत हैं. हम सीधे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल इस याचिका को सुन नहीं सकते हैं. याचिकाकर्ता हाईकोर्ट जाने को स्वतंत्र है. हमें बताया गया है कि यही याचिका हाईकोर्ट में दाखिल हुई है जो वहां पेडिंग है. आपको वहां बात रखनी चाहिए. हाईकोर्ट में दी गई याचिका में अगर किसी संशोधन की ज़रूरत है तो याचिकाकर्ता उसे कर सकते हैं.
“हम अगर आपको सीधे सुनेंगे तब दूसरों को…”
जस्टिस खन्ना की ओर से बताया गया, “हाईकोर्ट भी संवैधानिक कोर्ट है. हम अगर आपको सीधे सुनेंगे तो दूसरों को कैसे मना कर सकते हैं.” आगे पूर्व सीएम के वकील सिब्बल ने कहा कि वह बता सकते हैं कि सीधे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो सकती है. जस्टिस खन्ना ने इसी पर जवाब दिया, “आप (सोरेन) पहले भी सुप्रीम कोर्ट आए थे. आपसे तब भी हाईकोर्ट जाने के लिए कहा गया था.”
कपिल सिब्बल ने किया जिरह का प्रयास, रहे नाकाम
मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के वकील एस वी राजू की ओर से कहा गया कि बिल्कुल ऐसी ही याचिका (सुप्रीम कोर्ट से मिलती-जुलती) हाईकोर्ट में भी दाखिल की गई है. हालांकि, इस दौरान पूर्व सीएम सोरेन के वकील ने जिरह की कोशिश की मगर जस्टिस खन्ना ने कह दिया कि वे लोग हाईकोर्ट का रुख करें और इस बात पर उनके साथी जज भी सहमत हैं.