सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरनगर में शिक्षिका के निर्देश पर सहपाठियों द्वारा एक छात्र को कथित तौर पर थप्पड़ मारने के मामले में सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई। कहा कि जो घटना घटी है, उससे राज्य की अंतरात्मा को झकझोर देना चाहिए। साथ ही निर्देश दिया की मामले की जांच के लिए वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को नियुक्त किया जाए।
बच्चों की कराएं काउंसिलिंग
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने आईपीएस अधिकारी को शीर्ष अदालत में एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए राज्य सरकार से कहा कि वह पीड़िता और मामले में शामिल अन्य छात्रों की पेशेवर परामर्शदाताओं से काउंसिलिंग कराएं।
यूपी सरकार की विफलता का मामला
पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों का पालन करने में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से विफलता का मामला है, जो जाति, पंथ या लिंग के आधार पर किसी भी भेदभाव के बिना 14 साल तक के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण, मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने से संबंधित है। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह की घटना से राज्य की अंतरात्मा को झकझोक देना चाहिए। अगर किसी छात्र को केवल इस आधार पर दंडित करने की मांग की जाती है कि वह किसी विशेष समुदाय से है तो कोई गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दी जा सकती।
अदालत ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि एक पेशेवर परामर्शदाता द्वारा पीड़ित की उचित काउंसिलिंग कराई जाए। साथ ही उन छात्रों को भी उचित काउंसिलिंग मिले, जिन्हें बच्चे को मारने लिए कहा गया था। अदालत ने कहा कि राज्य की सरकार बच्चे से उसी स्कूल में पढ़ाई जारी रखने की उम्मीद नहीं कर सकता है।
चार सप्ताह के अंदर पेश करें रिपोर्ट
पीठ ने इस घटना को ‘गंभीर’ बताते हुए राज्य सरकार से राज्यभर के स्कूलों में आरटीई कानून लागू करने पर चार सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि घटना की जांच के लिए एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को नियुक्त करें। उसके बाद, नियुक्त वरिष्ठ अधिकारी अदालत के समक्ष रिपोर्ट दाखिल करे।
महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी की याचिका पर सुनवाई
अदालत महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें मामले में तेजी से जांच की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने छह सितंबर को मुजफ्फरनगर के पुलिस अधीक्षक को मामले में स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। अदालत ने पुलिस अधीक्षक से छात्र और उसके माता-पिता की सुरक्षा के लिए किए गए उपायों के बारे में सूचित करने को कहा था। शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को भी नोटिस जारी किया था और 25 सितंबर तक जवाब मांगा था।
ये था पूरा मामला
खुब्बापुर गांव के स्कूल में शिक्षिका तृप्ता त्यागी ने पांच का पहाड़ा नहीं सुनाने पर 24 अगस्त को अल्पसंख्यक समुदाय के यूकेजी के छात्र की सहपाठियों से पिटाई करा दी थी। इसी दौरान जातीय टिप्पणी का भी आरोप है। प्रकरण के दौरान पीड़ित छात्र के चचेरे भाई ने वीडियो बना लिया था। वीडियो के वायरल होते ही देशभर से प्रतिक्रियाएं आने लगीं और शिक्षिका की गिरफ्तार की मांग उठने लगी। आरोपी शिक्षिका पर केस दर्ज हो चुका है। वहीं, इस संबंध में राज्य शिक्षा विभाग ने स्कूल को नोटिस भी भेजा था।