पेरिस ओलंपिक 2024 में विनेश फोगाट मामले की सुनवाई 9 अगस्त (शुक्रवार) को पूरी हो गई थी. अब इस मामले में फैसले का इंतजार पूरे देश को है. फैसला पहले 10 अगस्त (शनिवार) को आने की उम्मीद थी, लेकिन अब फैसले की टाइमलाइन को बढ़ा दिया गया. अब विनेश को सिल्वर मिलेगा या नहीं… इसपर फैसला 13 अगस्त यानी मंगलवार को भारतीय समयानुसार 9.30 बजे तक आएगा. इस फैसले का डिटेल ऑर्डर भी जारी किया जाएगा.
ऑस्ट्रेलियाई जज सुनाएंगी फैसला
डॉ. एनाबेले बेनेट एसी एससी (Dr Annabelle Bennett AC SC) इस मामले में फैसला सुनाएंगी. बता दें कि पहले CAS (Court of Arbitration for Sports) ने अपना फैसला सुनाने के लिए 10 अगस्त भारतीय समयानुसार रात 9.30 बजे तक का वक्त रखा था. आमतौर पर एड-हॉक पैनल को फैसला सुनाने के लिए 24 घंटे का समय दिया जाता है. लेकिन अब फैसले की तारीख फिर आगे बढ़ा दी गई.
विनेश फोगाट ने बुधवार को CAS में ओलंपिक फाइनल से खुद को अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ अपील की और मांग की कि उन्हें संयुक्त रजत पदक दिया जाए. ओलंपिक खेलों या उद्घाटन समारोह से पहले 10 दिनों की अवधि के दौरान उत्पन्न होने वाले किसी भी विवाद के समाधान के लिए यहां खेल पंचाट का तदर्थ विभाग (Court of Arbitration for Sports- CAS) स्थापित किया गया.
विनेश फोगाट के चाचा महावीर फोगाट ने फैसला टलने पर बयान दिया. महावीर ने कहा, ‘हम दो दिन से इंतजार कर रहे हैं. मैं भारत सरकार का आभारी हूं जिन्होंने अच्छे वकील नियुक्त किए. मुझे उम्मीद है कि अच्छी खबर आएगी. हम गोल्ड से वंचित हो गए, लेकिन लोग दुआ कर रहे हैं कि उसे सिल्वर मिले. परिवार के सभी सदस्य विनेश को अपना फैसला बदलने के लिए कहेंगे. जो भी फैसला आएगा हम उसका खुशी से स्वागत करेंगे. मेरा मानना है कि फैसला टलना हमारे लिए अच्छा संकेत है. सरकार रजत पदक के लिए पूरी कोशिश कर रही है और मैं सरकार का आभारी हूं.’
CAS का काम क्या होता है?
कोर्ट ऑफ अर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट दुनिया भर में खेलों के लिए बनाई गई एक स्वतंत्र संस्था है. इसका काम खेल से जुड़े सभी कानूनी विवादों का निपटारा करना है. 1984 में स्थापित अंतरराष्ट्रीय निकाय काम खेल से संबंधित विवादों को मध्यस्थता के माध्यम से निपटाते का काम करता है. इसका मुख्यालय लॉजेन, स्विटजरलैंड में है और इसकी अदालतें न्यूयॉर्क शहर, सिडनी और लॉजेन में स्थित हैं. अस्थायी अदालतें वर्तमान ओलंपिक मेजबान शहरों में भी स्थापित की जाती हैं.
बता दें कि सभी पक्षों को सुनवाई से पहले अपने विस्तृत कानूनी तर्क दाखिल करने और फिर मौखिक तर्क रखने का अवसर दिया गया था. सोल आर्बिट्रेटर ने संकेत दिया कि आदेश का परिचालन हिस्सा जल्द ही अपेक्षित है, जिसके बाद विस्तृत आदेश और कारण सामने रखे जाएंगे. IOA अध्यक्ष डॉ. पीटी उषा ने वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और विदुष्पत सिंघानिया के साथ-साथ IOA की ओर से तर्क प्रस्तुत करने में मदद करने के लिए स्पोर्ट्स लीगल टीम का आभार जताया.
विनेश की तरफ से दिए गए ये तर्क
1. विनेश ने दलील दी कि उन्होंने कोई धोखाधड़ी नहीं की.
2. उनका वजन बढ़ना शरीर की नेचुरली रिकवरी प्रक्रिया के कारण था.
3. विनेश की ओर से दलील दी गई कि अपने शरीर की देखभाल करना एथलीट का मौलिक अधिकार है.
4. विनेश की ओर से ये भी तर्क दिया गया कि प्रतियोगिता के पहले दिन उसके शरीर का वजन निर्धारित सीमा से कम था. वजन केवल रिकवरी के कारण बढ़ा और यह धोखाधड़ी का मामला नहीं है. अपने शरीर को स्वस्थ होने के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति करना उनका मौलिक अधिकार है.
पेरिस ओलंपिक में भारत की उम्मीदों को तब झटका लगा जब विनेश फोगाट को डिसक्वालिफाई (अयोग्य) घोषित किया गया है. 50 किलोग्राम फ्रीस्टाइल रेसलिंग कैटगरी में उनका वजन करीब 100 ग्राम अधिक पाया गया था. विनेश के पास गोल्ड मेडल जीतने का मौका था, लेकिन वजन अधिक होने के कारण फाइनल मुकाबले से कुछ घंटे पहले ही उन्हें अयोग्य करार दे दिया गया. ऐसे में नियम के कारण वह सेमीफाइनल जीतने के बाद भी मेडल से चूक गईं.