अगले हफ्ते शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र के दौरान आपदा प्रबंधन कानून में संशोधन के लिए एक विधेयक सहित छह नए विधेयक पेश किए जाएंगे. वित्त विधेयक के अलावा, सरकार ने नागरिक उड्डयन क्षेत्र में कारोबार को सुगम बनाने के लिए सक्षम प्रावधान प्रदान करने को लेकर विमान अधिनियम 1934 को प्रतिस्थापित करने के लिए भारतीय वायुयान विधेयक 2024 को भी सूचीबद्ध किया है.
विधेयकों की सूची गुरुवार शाम को लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी संसद बुलेटिन में प्रकाशित की गई. मानसून सत्र 22 जुलाई से शुरू होगा और 12 अगस्त तक चलेगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को केंद्रीय बजट पेश करेंगी. सत्र के दौरान पेश किये जाने और पारित होने के लिए सूचीबद्ध अन्य विधेयकों में स्वतंत्रता-पूर्व कानून की जगह लेने वाला बॉयलर विधेयक, कॉफी (संवर्धन और विकास) विधेयक और रबर (संवर्धन और विकास) विधेयक शामिल हैं.
कार्य मंत्रणा समिति का भी हुआ गठन
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसदीय एजेंडा तय करने वाली कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) का भी गठन किया. अध्यक्ष के नेतृत्व वाली समिति में सुदीप बंदोपाध्याय (तृणमूल कांग्रेस), पी पी चौधरी (बीजेपी), लवू श्रीकृष्ण देवरायलु (टीडीपी), निशिकांत दुबे (बीजेपी), गौरव गोगोई (कांग्रेस), संजय जायसवाल (बीजेपी), दिलेश्वर कामत (जेडीयू), भर्तृहरि महताब (बीजेपी), दयानिधि मारन (डीएमके), बैजयंत पांडा (बीजेपी), अरविंद सावंत (शिवसेना-यूबीटी), के. सुरेश (कांग्रेस), अनुराग ठाकुर (बीजेपी) और लालजी वर्मा (सपा) सदस्य हैं.
मानसून सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक
सरकार ने अगले सोमवार से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र से पहले 21 जुलाई यानी रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों के नेता इसमें हिस्सा लेने वाले हैं. विपक्ष अपनी मांगों को भी सरकार के समक्ष रख जाएगा. हालांकि, तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि पार्टी का कोई भी प्रतिनिधि बैठक में शामिल नहीं होगा, क्योंकि 21 जुलाई को पार्टी शहीद दिवस के रूप में मनाती है.
21 जुलाई का शहीद दिवस उन 13 कांग्रेस समर्थकों की याद में मनाया जाता है, जिनकी 1993 में राज्य सचिवालय मार्च के दौरान कोलकाता पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उस समय सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाला वाम मोर्चा सत्ता में था. उस समय ममता बनर्जी राज्य युवा कांग्रेस प्रमुख थीं और उन्होंने 1 जनवरी 1998 को तृणमूल कांग्रेस के गठन के बाद भी हर साल रैली आयोजित करके इस दिन को याद करना जारी रखा है.