बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की मौत की न्यायिक जांच की जाएगी। जांच के लिए अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेड गरिमा सिंह एमएपीएमएलए कोर्ट बांदा को जांच अधिकारी बनाया गया है। जांच की रिपोर्ट एक महीने में देने का आदेश दिया गया है।
मुख्तार की बृहस्पतिवार रात दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी जिसके बाद से ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की थी।
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया साइट पर कहा था कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या कैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा-
– थाने में बंद रहने के दौरान
– जेल के अंदर आपसी झगड़े में
– जेल के अंदर बीमार होने पर
– न्यायालय ले जाते समय
– अस्पताल ले जाते समय
– अस्पताल में इलाज के दौरान
– झूठी मुठभेड़ दिखाकर
– झूठी आत्महत्या दिखाकर
– किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर
ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जांच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह गैर कानूनी हैं। जो हुकूमत जिंदगी की हिफाजत न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।