संचार न्यूज़। आगामी 1 अक्टूबर से नोएडा – ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद सहित पूरे एनसीआर में डीजल जनरेटर पर प्रतिबंध लग जाएगा बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए हर साल की तरह इस बार ग्रेप (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) लागू किया जाएगा। केवल उन्हीं जनरेटर को चलाने की अनुमति होगी जो सौर या पीएनजी ईंधन पर चलते हैं। जिससे लाइट कट हो जमे पर पूरे शहर में अंधेरा छा जाएगा।
दरअसल, गौतम बुध नगर में आगामी एक अक्टूबर से बंद होने वाले डीजल जनरेटर को लेकर लोगों में काफी निराशा छाई हुई है क्योंकि गौतम बुद्ध नगर में अभी भी अधिकांश जनरेटर पीएनजी फ्यूल में कन्वर्ट नहीं कराएं गए है इसका कारण यह होगा कि बिजली चली जाने पर उद्योगों को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान होगा वही हाई राइज सोसाइटियों में रहने वाले लोगों को बिना बिजली के अंधेरे में रहना पड़ेगा क्योंकि 70 से ज्यादा सोसाइटियों में पावर बैकअप डीजल जनरेटर के जरिए है।
गौतम बुध नगर में लगभग 12 से 14 हजार उद्योग है इसके अलावा सोसाइटी और निजी संस्थान है। जिले में लगभग 40 हजार के करीब जनरेटर है जिनमें से अब तक करीब 4 हजार ही पीएनजी फ्यूल में कन्वर्ट हो सके हैं जिनमे इंडस्ट्री के 1500 जनरेटर शामिल है। इस स्थिति में यदि जनरेटर बंद हो गए तो जिले के उद्यमीयो पर काफी प्रभाव पड़ेगा इसका सबसे ज्यादा असर एमएसएमई सेक्टर पर पड़ेगा जहां छोटे उद्योगों में 50 से 100 श्रमिक काम करते हैं। यदि इकाई बंद होती है तो इनका श्रमिकों के कार्य पर प्रभाव पड़ेगा वही हाई राइज सोसाइटी में लाइट चले जाने पर लोगों को अंधेरे में रहने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
नोएडा स्टेट फ़्लैट ओवनर्स मैन एसोसिएशन
(नेफोमा) अध्यक्ष अन्नू खान ने बताया कि एनजीटी को इस बारे में एक बार और सोचना चाहिए क्योंकि सभी सोसाइटी में जनरेटर बहुत कम समय के लिए चलाते हैं यहां पर जनरेटर बिल्डरों ने अपार्टमेंट ओवनर्स एसोसिएशन (एओए) के हैंडोवर कर दिए हैं। ऐसे में डीजल जनरेटर को बदलकर पीएनजी संचालित करने में मोटा खर्च करना होगा इसका पूरा भर एओए पर आएगा और वह उसे लोगों पर डालेगा। ग्रेप नियम इंडस्ट्री, कारखाने व मैरिज होम पर लागू होना चाहिए क्योंकि वहां पर ज्यादातर समय के लिए जनरेटर का प्रयोग किया जाता है सोसाइटी में कुछ समय के लिए लाइट जाती है उसी समय जनरेटर का प्रयोग किया जाता है तो यहां पर इसमें छूट मिलनी चाहिए।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के पंचशील ग्रीन निवासी दीपांकर कुमार ने बताया कि एनजीटी का यह तुगलकी की फरमान है। एनजीटी को लगता है कि भारत एक डेवलप कंट्री है जहां पर हमेशा लाइट आती रहती है लेकिन नोएडा व ग्रेटर नोएडा में कुछ ना कुछ फॉल्ट होते रहते हैं जिसके चलते लाइट में कट लगते हैं। डीजल जनरेटरो पर ग्रेप के द्वारा रोक लग जाने से लाइट चली जाने पर सोसायटी की लिस्ट और कॉमन एरिया में अंधेरा हो जाएगा। जिससे वहां रहने को वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। यदि डीजल संचालित जनरेटर को बंद करना है तो ग्रीन बिल्डिंग कांसेप्ट को लागू करना होगा जहां पर सोसायटी की लिफ्ट व कॉमन एरिया की लाइट सोलर पैनल द्वारा चलाई जाए जिससे लाइट चली जाने पर लिफ्ट और कॉमन एरिया में रोशनी बनी रहे और लोगों को किसी तरह की कोई परेशानी ना हो।