संचार न्यूज़। ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय के में सेंटर ऑफ एआई इन मेडिसिन, इमेजिंग और फोरेंसिक विभाग ने व्यावहारिक प्रमाणित प्रशिक्षण पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में विविधता के साथ करीब 45 लोगों ने भाग लिया।
विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ सिबाराम खारा ने कहा कि दवा की खोज के लिए आणविक डॉकिंग एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया है। इस दृष्टिकोण का उपयोग परमाणु स्तर पर एक छोटे अणु और एक प्रोटीन के बीच बातचीत को मॉडल करने के लिए किया जा सकता है, जो लक्ष्य प्रोटीन के बंधन स्थल में छोटे अणुओं के व्यवहार को चिह्नित करने के साथ-साथ मौलिक जैव रासायनिक प्रक्रियाओं को स्पष्ट करने की अनुमति देता है। चूंकि इस उपकरण के व्यापक अनुप्रयोग हैं।
विभागाध्यक्ष डॉ अशोक कुमार ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों को सक्षम बनाना है। स्नातक, स्नातकोत्तर, अनुसंधान विद्वान और पेशेवर, आणविक डॉकिंग की अवधारणा और दवा की खोज में इसके महत्व को समझने के लिए प्रेरित किया। कम्प्यूटेशनल उपकरणों से परिचित कराया जो अक्सर आणविक डॉकिंग और विज़ुअलाइज़ेशन के लिए उपयोग किए जाते हैं। इसके अलावा आणविक डॉकिंग से जुड़े विभिन्न उपकरणों का उपयोग करने का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने में मदद की गई। जिससे वास्तविक दुनिया के परिदृश्यों में उनके अनुप्रयोगों को समझना और समस्या निवारण कौशल विकसित करना है।